
Bamboo is an ideal resource for textile production: Giriraj Singh
– वन अनुसंधान संस्थान देहरादून में केंद्रीय मंत्री ने की वस्त्र उद्योग के लिए बांस की संभावनाओं पर चर्चा
देहरादून ।
केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा,“बांस की तीव्र वृद्धि एवं संवहनीय गुण इसे कपड़ा उत्पादन के लिए एक आदर्श संसाधन के रूप में स्थापित करती है,जो आत्मनिर्भर,हरित अर्थव्यवस्था के हमारे दृष्टिकोण को साकार करती है।
केंद्रीय मंत्री 20 अप्रैल से वन अनुसंधान संस्थान के दो दिवसीय दौरे के दौरान आज सोमवार को संस्थान के बोर्डरूम में एक बैठक में भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय मंत्री
ने सभी को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि “यह नौकरियों के सृजन, संवहनीयता और भारत को वैश्विक कपड़ा मानचित्र पर लाने के बारे में है।”बैठक में भविष्य के कदमों पर भी चर्चा की गई,जिसमें उत्पादन को बढ़ाना,प्रक्रियाओं को परिष्कृत करना और कपड़ा निर्माताओं के साथ सहयोग करना शामिल है। यह बैठक कपड़ा आपूर्ति श्रृंखला में बांस को एकीकृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है,जो बढ़ते वैश्विक बाजार के लिए पर्यावरण के अनुकूल समाधान का वादा करती है। बैठक का समापन अनुसंधान को आगे बढ़ाने,उद्योगों की प्रगति में सहयोग करने के वचनबद्धता के साथ हुआ ताकि बांस को फैशन और उससे परे लोकप्रिय बनाया जा सके।
बैठक में वन अनुसंधान संस्थान की निदेशक डॉ. रेनू सिंह ने बांस पर अपने शोध के बारे में अधिकारियों को जानकारी दी, उन्होंने इसके महत्व पर जोर दिया और इस क्षेत्र में भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की।
बांस पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति वन अनुसंधान संस्थान,देहरादून के वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत की गई,जिसमें घुलनशील ग्रेड पल्प (डीजीपी) के लिए बांस के उन्नत उपयोग और कपड़ा उत्पादन में इसके अनुप्रयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया। एफआरआई के वैज्ञानिकों की टीम ने घुलनशील ग्रेड पल्प उत्पादन के लिए विभिन्न भारतीय बांस प्रजातियों के अपने अनुसंधान से निष्कर्ष प्रस्तुत किए,जो रेयान और विस्कोस जैसे कपड़ा फाइबर के निर्माण में एक महत्वपूर्ण घटक है। शोध के दौरान प्राप्त निष्कर्ष में नौ में से दो को शीर्ष प्रदर्शन करने वाली प्रजातियों के रूप में पाया गया,जिनमें उच्च अल्फा-सेल्यूलोज सामग्री (52% से अधिक),राख और सिलिका की कम मात्रा और उत्कृष्ट लुगदी के गुण हैं। यह बांस को लकड़ी आधारित लुगदी के लिए एक टिकाऊ विकल्प के रूप में स्थापित करता है,जो भारत के विशाल बांस भंडार का दोहन करता है।
बैठक में प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री गणेश जोशी, श्रीमती कचन देवी, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून, डॉ. रेनू सिंह, निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून, एफआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. ए.के. शर्मा, निदेशक, भारतीय जूट उद्योग अनुसंधान संघ (IJIRA), कोलकाता, रेशम तकनीकी सेवा केंद्र, प्रेमनगर देहरादून के वैज्ञानिक तथा विकास आयुक्त कार्यालय हस्तशिल्प सेवा केंद्र, वस्त्र मंत्रालय,देहरादून के सहायक निदेशक भी उपस्थित थे।