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*अवैध धर्मांतरण पर कड़ा प्रहार – उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025 को कैबिनेट की मंजूरी*

देहरादून।
उत्तराखण्ड मंत्रिमंडल ने *उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025* को स्वीकृति दी है, जिसके तहत अवैध धर्मांतरण पर कड़े दंड, डिजिटल माध्यम से प्रचार पर रोक और पीड़ितों के संरक्षण के सशक्त प्रावधान जोड़े गए हैं।

*मुख्य बिंदु:*

1. *प्रलोभन की विस्तृत परिभाषा* – उपहार, नकद/वस्तु लाभ, रोजगार, निःशुल्क शिक्षा, विवाह का वचन, धार्मिक आस्था को आहत करना या दूसरे धर्म का महिमामंडन – सभी को अपराध की श्रेणी में शामिल।

2. *डिजिटल साधनों पर रोक* – सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप या किसी भी ऑनलाइन माध्यम से धर्मांतरण हेतु प्रचार/उकसावा दंडनीय।

3. *कठोर सजा* – सामान्य उल्लंघन पर 3–10 वर्ष, संवेदनशील वर्ग से जुड़े मामलों में 5–14 वर्ष, गंभीर मामलों में 20 वर्ष से आजीवन कारावास तक सजा और भारी जुर्माना।

4. *छद्म पहचान कर विवाह* – धर्म छिपाकर विवाह पर सख्त दंड।

5. *पीड़ित के अधिकार*– संरक्षण, पुनर्वास, चिकित्सा, यात्रा व भरण-पोषण व्यय की व्यवस्था।

राज्य सरकार ने कहा कि यह कानून नागरिकों के धार्मिक अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए, धोखाधड़ी, प्रलोभन या दबाव से होने वाले धर्मांतरण पर रोक लगाएगा और सामाजिक सद्भाव को बनाए रखेगा।

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