अधर में करोड़ो की आडिट आपत्तियों का निस्तारण,जीरो टॉलरेंस के दावों पर उठ रहे हैं सवाल

आडिट निदेशक के न टिकने से लटके आडिट के कार्य
12 साल में16 निदेशक बदले, जावलकर बने 17वें निदेशक आडिट
देहरादून।
– राज्य में आडिट निदेशालय की स्थापना से लेकर अब तक 12 साल 6 माह की अवधि में निदेशक के पद पर 16 अधिकारियों की अदला-बदली के बाद अब 17वें निदेशक के रुप में वरिष्ठ आईएएस दिलीप जावलकर की तैनाती की गई है। उत्तराखण्ड कार्मिक एकता मंच के संस्थापक एवं रिटायर्ड असिस्टेंट आडिट आफिसर रमेश चन्द्र पाण्डे ने निदेशक के पद पर लगातार अदला-बदली किये जाने से आडिट कार्य पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस स्थिति से सरकार के जीरो टॉलरेंस के दावों पर भी सवाल उठना लाजिमी है जिस पर विराम लगाने के लिए सरकार को जानना चाहिए कि आडिट जैसे महत्वपूर्ण महकमें के निदेशक के पद पर आखिर कोई टिकता क्यों नहीं है ?
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा 19 जून को 31आईएएस अधिकारियों के तबादले किये गये । निदेशक आडिट के पद से बी षणमुगम को हटाकर दिलीप जावलकर की तैनाती की गई है । इस तबादले को लेकर इसलिए भी चर्चा है कि षणमुगम को निदेशक के पद पर ज्वाइन किये हुए अभी एक माह भी पूरा नहीं हुआ था ।
18 दिसम्बर 2012 को आडिट निदेशालय की स्थापना के बाद पहले निदेशक के रुप में श्रीमती सौजन्या 1 दिसम्बर 2013 तक इस पद पर आसीन रही इसके बाद 9 फरवरी 2014 तक दिलीप जावलकर, 6 फरवरी 2015 तक श्रीमती आस्था लूथरा, 17 अप्रैल 2016 तक श्रीधर बाबू अद्दांकी, 31मई 2017 तक विनयशंकर पाण्डे,
5 सितम्बर 2017 तक श्रीधर बाबू अद्दांकी,15अप्रैल 2018 तक अमित नेगी, 6 फरवरी 2019 तक सचिन बंसल, 18 मार्च 2019 तक अमित नेगी, 28 जून 2019 तक सचिन बंसल, 5 अगस्त 2020 तक एस.ए. मुरुगेशन, 9 मई 2021 तक डा. इकबाल अहमद, 17 अगस्त 2021 तक बी षणमुगम, 2 जुलाई 2024 तक डा.सुरेन्द्र नारायण पाण्डे, 13 मई 2025 तक विनोद कुमार सुमन थे ।
रिटायर्ड असिस्टेंट आडिट आफिसर रमेश चन्द्र पाण्डे के अनुसार निदेशक बदले जाने से आडिट एक्ट के अनुरुप कार्य नहीं हो रहा है। आडिट मैनुअल के अनुसार सबसे पहले कलैण्डर वर्ष के लिए आडिट प्लान बनाया जाना चाहिए । जिन संस्थाओं में गडबड़ी की ज्यादा सम्भावना हो उनके आडिट को प्लान में प्राथमिकता में रखा जाना चाहिए । जब निदेशक के पद पर कोई अधिकारी एक-दो माह के लिए भी नहीं टिक रहा है तो वह साल भर के प्लान को कैसे अमलीजामा पहनाएगा ?
श्री पाण्डे का कहना है कि एक्ट में आडिट आपत्तियों के निस्तारण हेतु जो व्यवस्था है उसके तहत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य सम्प्रीक्षा समिति गठित है जिसके सदस्य सचिव निदेशक आडिट हैं लेकिन गत 5-6 साल से इस समिति की बैठक ही नहीं हुई हैं । इस स्थिति के चलते 600 करोड़ के चावल घोटाले जैसी तमाम विभागों की करोडों की स्पेशल आडिट रिपोर्ट वर्षों से फाइलों में धूल फांक रही हैं ।